Thursday, August 13, 2009

दोनों ओर प्रेम पलता है

This is my favourite hindi poem; we had it in our 10th grade and since that time I am in love with this one! Today I was going through my collections and I found it; my lost love! It was written by Maithili Sharan Gupt.

दोनों ओर प्रेम पलता है
सखी; पतंग भी जलता है;हाँ! दीपक भी जलता है!
सीस हिलाकर दीपक कहता-
बंधू वृथा ही तू क्यूँ देहता?
पर पतंग पड़ कर ही रहता!

कितनी विहवलता है!
दोनों और प्रेम पलता है!
बचकर हाय ! पतंग मरे क्या?
प्रणय छोड़कर प्राण धरे क्या?
जले नही तो मरा करे क्या?
क्या यहाँ असफलता है?
दोनों और प्रेम पलता है!

कहता है पतंग मनमारे -
तुम महान ; मैं लघु, पर प्यारे,
क्या न मरण भी हाथ हमारे?
शरण किसे चलता है?
दोनों और प्रेम पलता है!

दीपक के जलने में आली
फिर भी है जीवन की लाली
किंतु पतंग-भाग्य-लिपि कलि,
किसका वश चलता है?
दोनों और प्रेम पलता है।